ग़ज़ल – हमीद कानपुरी
ग़ज़लकार: हमीद कानपुरी (अब्दुल हमीद इदरीसी), कानपुर, उत्तर प्रदेश
घूम कर ख़ूब दर बदर देखा।
पर नबी सा नहीं बशर देखा।
उसका जादू जो बेअसर देखा।
फिर न मुड़कर कभी उधर देखा।
चाँद पर कल उतर गया रोवर,
देश ने ज्ञान का शिखर देखा।
उसकी बातों को मान लूँ कैसे,
जिसका ईमां डगर मगर देखा।
देखता रह गया फ़क़त खामी,
ख़ार देखा नहीं समर देखा।