चँदा मामा नहीं दूर के
रचयिता: कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई, हिसार (हरियाणा)- भारत
चंदा मामा चंदा मामा,
प्यार प्यारे चंदा मामा।
दूर नभ रहते थे,
लगते प्यारे मामा।।
जो दूर भरपूर थे,
सोचे हम जरूर थे।
घर जो नहीं आते थे,
छुपते चँदा मामा।।
दूर से ही मुस्काते थे,
बच्चों को रिझाते थे।
खगोलीय अध्यन है,
शामिल होते मामा।।
सुंदर मामा प्यारे हैं,
चारों ओर से तारे हैं।
खूब टिमटिमाते हैं,
मन में भाते मामा।।
न्यारी छटा तेरी मामा,
प्यारे तुम्हें बाल मामा।
कभी नहीं रूठें बाल,
कमाल चँदा मामा।।
भारत डेरा लगाया,
सर्वप्रथम तुम्हें पाया।
तेरे घर आये मामा,
छुप न पाये मामा।।
बच्चे जब भागे मामा,
संग भागै चँदा मामा।
गाते जाते चँदा मामा,
पूर्णिमा चंदा मामा।।
भारती करै प्रणाम,
देश दुनिया में नाम।
माँ को मंगलकामना,
माँ नवण प्रणाम।।
पृथ्वीसिंह’ गावै मामा,
करै प्रीत चंदा मामा।
गाते बच्चे गीत मामा,
भारत जीत मामा।।