Featuredकविताकाव्य

फ्रेंडशिप डे (मित्रता दिवस)

रचयिता: दिवाकर अजीत, कानपुर, उत्तर प्रदेश 

तप्त हृदय को , सरस स्नेह से , 
जो सहला दे , मित्र वही है ।

रूखे मन को , सराबोर कर,  
जो नहला दे , मित्र वही है ।

प्रिय वियोग  ,संतप्त चित्त को ,
जो बहला दे , मित्र वही है ।

अश्रु बूँद की , एक झलक से ,
जो दहला दे , मित्र वही है ।

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