कविताकाव्य

मामा के घर पहुँचा चंद्रयान -3

 रचयिता: हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश

चढ़ सफलता की सारी सीढ़ी,
मामा के घर पहुंचा चंद्रयान -3।
खुश होकर चंद्रयान ऐसा झूमा,
जैसा झूमता ब्याल सुन बीन।
चंदा मामा के छूकर पावन पैर,
लिया युग-युग जिओ आशीर्वाद।
नाना-नानी के भी गले मिलकर,
करेगा उनसे जी भरकर संवाद।
मामा के गाँव में घूम-घूमकर,
देखेगा ताल, तलैया और गड्ढे।
नदी, नालों की सैर पर जाकर,
लायेगा सबकी फोटो बड्डे-बड्डे।
मामा के खेतों की मिट्टी को भी,
लायेगा छोटी शीशी में भरकर।
कंकड़ , पत्थर, राख, रेत को,
ले आयेगा अपने संग जमकर।
सभी को दिखाएग और सुनायेगा,
अपने मामा के गाँव की कहानी।
सुनकर सारे गाँव देश के बच्चे,
हर्षित हो खूब जतायेंगे हैरानी।।

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