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राखी में भाव – कन्हैया लाल

रचयिता : कन्हैया लाल,  जंगीपुर गाज़ीपुर

भेज रही हूं राखी भईया,
दुरुस्त सदा हो धर्म सनातन,
रक्षाबंधन संदेश यही है,
भाई-बहन का प्यार पुरातन,
राखी तुझे बांधती भईया,
सदा दुरूस्त हो धर्म सनातन।।

यह धागों से बधा है रिश्ता,
संकल्प छिपा है करना रक्षा,
काम क्रोध पर करो नियंत्रण,
माता-पिता की रहना कक्षा 
मंगल कामना बहन है करती,
मंगलसूत्र भाभी अहिवतान 
राखी भेजती तुझको भैया,
धर्म सदा हो दुरुस्त सनातन ।।

तन, हिम्मत हो स्वस्थ सदा,
देख मुसीबत मत घबराना,
हर धागा संदेश यही है,
एक  जुट परिवार बनाना,
छोटे-बड़े धागे हैं कहते,
कभी ना आपस में हो अनबन,
राखी भेजती तुझको भैया,
दुरुस्त सदा हो धर्म सनातन।।

माता-पिता अब हुए हैं बूढ़े,
बूढ़े हाथ हैं बूढ़े पाँव,
उन्हें जरूरत अब तेरी है,
नहीं छोड़ना उनको गाँव,
अपने साथ सदा ही रखना,
संग ले जाना उनको तन,
राखी बांधती तुझको भैया,
दुरुस्त सदा हो धर्म सनातन।।

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