राखी में भाव – कन्हैया लाल
रचयिता : कन्हैया लाल, जंगीपुर गाज़ीपुर भेज रही हूं राखी भईया,दुरुस्त सदा हो धर्म सनातन,रक्षाबंधन संदेश यही है,भाई-बहन का प्यार पुरातन,राखी
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Read Moreरचयिता: कविदीप दिलीप, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश क्या थे आजाद गांधी सुभाष,क्या रामप्रसाद क्या राजगुरु।अशफाक भगत क्या लाजपत,कौन कहां कब क्यों
Read Moreकवि : ओमप्रकाश वाल्मीकि, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश चूल्हा मिट्टी कामिट्टी तालाब कीतालाब ठाकुर का। भूख रोटी कीरोटी बाजरे कीबाजरा खेत
Read Moreकवि : अदम गोंडवी, गोंडा, उत्तर प्रदेश जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगेकमीशन दो तो हिंदुस्तान
Read Moreकवयित्री : सुभद्राकुमारी चौहान, प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में भी आई
Read Moreरचयिता: हरी राम यादव, अयोध्या, उत्तर प्रदेश चढ़ सफलता की सारी सीढ़ी,मामा के घर पहुंचा चंद्रयान -3।खुश होकर चंद्रयान ऐसा
Read Moreरचयिता: डोमेन्द्र नेताम (डोमू), बालोद (छ.ग) रिमझिम सावन की है फुहार,रक्षाबंधन की है पावन त्यौहार। सज-धज कर अब भाई बैठे
Read Moreरचयिता: दिवाकर अजीत, कानपुर, उत्तर प्रदेश तप्त हृदय को , सरस स्नेह से , जो सहला दे , मित्र वही है
Read Moreरचयिता: सुनील कुमार सुनहरा, गया, बिहार चले हैं हम इन शहरों से अपने बचपन के गाँव,जहाँ गुज़रा था अपना बचपना
Read Moreरचयिता: कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई, हिसार (हरियाणा)- भारत चंदा मामा चंदा मामा,प्यार प्यारे चंदा मामा।दूर नभ रहते थे,लगते प्यारे
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