चांद पर तिरंगा
रचयिता: व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.) जैसे जैसे समय बढ़ रहावैसे बढ़ रहे होंगे तुम भीहोगी चंद्र-मिलन की चाहयहाँ भी
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Read Moreरचयिता: केशव विवेकी देशहित को आगे रख के,जीत हुई आज हमारी है।प्रयास सबका सफल हुआ,अब चाँद पे अपनी पारी है।
Read Moreरचयिता: महेश गुप्ता जौनपुरी दिन रात एक करके परिवार को पालता हूँ,रोटी के निवाले को मैं बांट-बांट कर खाता हूँ।कम
Read Moreरचयिता: केशव विवेकी ऐ मेरे साथी! जरा बता दो अभी,मैं पीठ पर बोरा और तू बस्ता रखा।उम्र में दोनों छोटे
Read Moreकवि : अदम गोंडवी, गोंडा, उत्तर प्रदेश आइए महसूस करिए जिंदगी के ताप कोमैं चमारों की गली तक ले चलूँगा
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