कंधे पर बैग
रचयिता: महेश गुप्ता जौनपुरी दिन रात एक करके परिवार को पालता हूँ,रोटी के निवाले को मैं बांट-बांट कर खाता हूँ।कम
Read Moreरचयिता: महेश गुप्ता जौनपुरी दिन रात एक करके परिवार को पालता हूँ,रोटी के निवाले को मैं बांट-बांट कर खाता हूँ।कम
Read Moreलेखक : तरुण कुमार दाधीच, वरिष्ठ साहित्यकार, उदयपुर हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में प्रमुख गद्य लेखकों में अमृतलाल नागर
Read Moreरचयिता: केशव विवेकी ऐ मेरे साथी! जरा बता दो अभी,मैं पीठ पर बोरा और तू बस्ता रखा।उम्र में दोनों छोटे
Read Moreकवि : अदम गोंडवी, गोंडा, उत्तर प्रदेश आइए महसूस करिए जिंदगी के ताप कोमैं चमारों की गली तक ले चलूँगा
Read Moreलेखिका: प्रतिमा उमराव, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में
Read Moreलेखिका: सुनीता मिश्रा, भोपाल, मध्य प्रदेश छेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़ दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत
Read More