खुशहाली दी चंदा मामा ने
रचयिता: केशव विवेकी
देशहित को आगे रख के,
जीत हुई आज हमारी है।
प्रयास सबका सफल हुआ,
अब चाँद पे अपनी पारी है।
चन्द्रयान की कहानी सुनाओ,
नये दौर की, नयी कहानी है।
हिय लक्ष्य को जो साधा हमने,
वो पग रख के हमने मानी है।
इतिहास ऐसे ही रचा जाता है,
इसरो ने आज कर दिखाया है।
आत्मनिर्भरता को अपनाकर,
विश्व में जो पहचान बनाया है।
आज़ादी मिली नया करने को,
ससच करके अब दिखलाया है।
मिशन खुद से बनाकर चलते,
तिरंगा चाँद पे जो फहराया है।
एक हार को जो पूरा हार कहे,
जवाब उनका तय हो चुका है।
अंतरिक्ष अभियान को ले चले,
चंद्रमिशन से जय हो चुका है।
हाँ-हाँ, उनको भी जवाब मिला,
जिसने आंतकवाद को पाला है।
कोटिशः बधाई हर भारतीयों को,
पाँव चाँद पे, प्रज्ञान से डाला है।
रक्षाबंधन का पर्व अमर हुआ,
धरती ने रेशम विक्रम बाँधा है।
खुशहाली दी चंदा मामा ने भी,
फतह चाँद, मिलकर साधा है।
भारत का जो यश बढ़ा आज,
चार चाँद, चाँद पे लगाया है।
वंदे मातरम् का जयघोष करो,
प्रज्ञान से, परचम लहराया है।