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चांद पर तिरंगा

रचयिता:  व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी (राज.)

जैसे जैसे समय बढ़ रहा
वैसे बढ़ रहे होंगे तुम भी
होगी चंद्र-मिलन की चाह
यहाँ भी हैं आतुर हम भी।

चंदा कहते आये हैं हम
सदियों से मामाजी तुमको
आश्रय देना चंद्रयान को
और निभाना तुमभी हमको।

ज्यूं ही सफलता पायेगा
अभियान गान बन जायेगा
स्थापित होकर चंद्रयान-3
स्वाभिमान बन जायेगा।

दुनियां देख रही इकटक
दिल धड़क रहा अपना भी
ये मेहनत लगन भारत की
है वैज्ञानिकों का सपना भी। (जय विज्ञान जय हिंदुस्तान)

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